नई दिल्ली: Kisan Aandolan: इंटरनेशनल पॉप स्टार रिहाना (Rihanna), जिन्हें कैरेबियन द्वीप बारबडोस की नागरिकता हासिल है, ”देशविरोधी” है. यह बात बीजेपी के प्रवक्ता संबित पात्रा (Sambit Patra) ने बुधवार को कही. गौरतलब है कि रिहाना ने किसानों के प्रदर्शन के समर्थन में ट्वीट किया था, इसके बाद सोशल मीडिया पर सरकार समर्थकों में उनके खिलाफ भारी नाराजगी है. रिहाना ने CNN की एक रिपोर्ट के साथ अपने ट्वीट में लिखा था, “हम किसानों की बात क्यों नहीं कर रहे. #FarmersProtest. बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा के साथ दो दिवसीय केरल दौरे पर मौजूद संबित ने कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी (Rahul Gandhi) पर भी निशाना साधा जिन्होंने कृषि कानूनों के मसले पर किसानों के साथ चर्चा में गतिरोध को लेकर सरकार का आड़े हाथ लिया था.
संबित ने कहा, ‘रिहाना और राहुल, दोनों किसानों के बारे में, फसलों के बारे में कुछ नहीं जानते लेकिन दोनों ही इस मुद्दे पर ट्वीट कर रहे हैं. ये लोग जब कहा था जब गांधीजी की मूर्ति पर ‘हमला’ किया गया था. इन इंटरनेशनल सेलेब्रिटीज ने उस समय ट्वीट क्यों नहीं किए.’ संबित पात्रा ने कहा, ‘जब कश्मीरी पंडितों को बाहर किया जा रहा था तब क्या उन्होंने ट्वीट किया. क्या इन्होंने तब ट्वीट किया जब 26 जनवरी को दिल्ली पुलिस के जवान तलवारों से घायल हो रहे थे. उस समय इनमें से किसी भी ‘अंतरराष्ट्रीय कार्यकर्ता’ (International Activists) ने ट्वीट नहीं किया. राहुल गांधी विदेश जाकर भारत विरोधी तत्वों से मिलते हैं…फिर वह रिहाना हो या मिया खलीफा. यह सब भारत की छवि धूमिल करने का दुष्प्रचार है. यह राष्ट्रविरोधी तत्व हैं.’ रिहाना ने अपने ट्वीट में प्रदर्शन स्थल पर इंटरनेट बंद करने की भी आलोचना की. गौरतलब है कि रिहाना (32) विश्व स्तर की पहली स्टार हैं, जिन्होंने किसान आंदोलन को समर्थन दिया है. उनके ट्विटर पर 10 करोड़ फॉलोवर हैं और उनके ट्वीट को एक घंटे में हजारों लोगों ने रीट्वीट किया.
गौरतलब है कि कृषि कानूनों (Farm Laws) को रद्द करने की मांग को लेकर देशभर के किसान दिल्ली में आंदोलन कर रहे हैं.किसानों और सरकार के बीच अब तक 11 राउंड की बातचीत हो चुकी है लेकिन गतिरोध दूर नहीं हो पाया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने गत शनिवार को सर्वदलीय बैठक में कहा था कि कृषि कानूनों का क्रियान्वयन 18 महीनों के लिए स्थगित करने का सरकार का प्रस्ताव अब भी बरकरार है. सरकार ने 22 जनवरी को सरकार और किसान संगठनों के बीच हुई आखिरी दौर की बातचीत में कानूनों का क्रियान्वयन 18 महीनों के लिए स्थगित करने का प्रस्ताव दिया था. किसान संगठन कानूनों को निरस्त करने की मांग पर अड़े हैं.